देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले गए, सृष्टि का संचालन अब महादेव के पास, ज्योतिषियों का आंकलन… महाकाल से धोखा बिगड़ेगा खेल

ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार चंद्रमा की महादशा दे रही बुरे संकेत, पूरे साल भाजपा के लिए शुभ नहीं, धर्म का धंधा पड़ सकता है पार्टी पर भारी

नई दिल्ली/भोपाल – देवशयनी एकादशी यानी 29 जून से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले गए हैं। देवशयनी एकादशी के बाद अब देवोत्थान एकादशी को भगवान जागेंगे। इस अवधि में सृष्टि का संचालन महादेव यानी भगवान शिव करेंगे। ज्योतिषियों के अनुसार इस दौरान संहार के अधिपति उन सभी लोगों को दंड देंगे जिन्होंने धर्म के नाम पर अधर्म किया है। ज्योतिषियों का कहना है कि महाकाल की नगरी में महाकाल लोक के निर्माण में जिस तरह की धांधली और धोखाधड़ी की गई है, उसका भी खामियाजा जिम्मेदारों को भुगतना पड़ेगा। गौरतलब है कि महाकाल की नगरी में करीब 1100 करोड़ रुपए खर्च कर महाकाल लोक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। परियोजना के पहले चरण में ही बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। जहां प्रदेश और केंद्र सरकार ने इस योजना को अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर विकास का ढिंढोरा पीटा था, वहीं एक छोटी सी आंधी ने धर्म के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है। अब इस भ्रष्टाचार की जांच लोकायुक्त तो कर ही रहा है, साथ ही पीएमओ ने भी इसकी रिपोर्ट तलब की है। इस पूरे घटनाक्रम पर ज्योतिषियों का कहना है कि महाकाल से जिसने भी धोखा किया है, उसका खेल अब बिगड़ेगा। क्योंकि आगामी 5 महीने सृष्टि का संचालन स्वयं महाकाल करने वाले हैं। संहार के अधिपति शिव ज्योतिषगुरु राजीव नारायण ने बताया कि भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है, भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं, अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं, शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। ऐसे में आगामी 5 महीने अधर्म करने वालों के लिए परेशानी वाले रहेंगे। विगत दिनों में धर्म के नाम पर जिसने भी धोखा दिया है, भगवान शिव उनको सबक सिखाएंगे। भाजपा के लिए प्रतिकूल समय हमारे समाज में ज्योतिष भी वेदों जितना ही पुराना है। ग्रह, नक्षत्र आदि का अध्ययन ज्योतिष विद्या कहलाता है। किसी सामान्य व्यक्ति से लेकर राजनीति में भी बड़े-बड़े काम भी ज्योतिषियों से पूछकर अच्छी ग्रह दशाओं में किए जाते हैं। ज्योतिषाचार्य राजीव नारायण ने दावा किया कि ये साल यानि 2023 भाजपा के लिए बेहतर नहीं है। उनका कहना है कि भाजपा की मिथुन लग्न की कुंडली है। इस समय चंद्रमा की महादशा चल रही है जो अच्छे संकेत नहीं दे रही है। ऐसे में कई विफलता और ऊंच-नीच का पार्टी को सामना करना पड़ेगा। राजीव नारायण का कहना है कि चंद्रमा की महादशा चल रही, जो कुंडली में नीच का होकर छठवें भाव (अपमान, झगड़े, विवाद) में बैठा है। केमद्रुम योग बना रहा है। वर्तमान दशा चंद्र, शनि (फरवरी 2024 तक) की चल रही है। शनि इनकी कुंडली में वक्री मंगल, राहु पाप ग्रहों से बुरी तरह पीडि़त है, और सत्ता (चतुर्थ भाव) से 12वें भाव (अपमान, नुकसान) में स्थित है। गोचर में शनि जन्म के शनि और लग्नेश बुध को प्रभावित कर रहा है। मई से बिगड़े हालात ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार इस साल भाजपा को कई संकटों का सामना करना पड़ सकता है। इसकी शुरुआत 5 मई को चंद्रग्रहण के साथ शुरू हो गई है। यह ग्रहण वृश्चिक लग्न में रात्रि 8.44 मिनट पर शुरू होकर 10.52 मिनट तक चला। ग्रहण भाजपा की कुंडली में लग्न से, लाभ और विस्तार के भाव में और चंद्र कुंडली से 6/12 की चुनाव, बीमारी, संघर्ष, मुकदमेबाजी, अपमान में पडऩे के कारण, इस पार्टी के विस्तार और चुनावी रणनीति को विफल करके अनेक संकट पैदा करेगा। इस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और महत्वपूर्ण नेताओं को कानूनी, बीमारी, जेल, चुनावी विफलता, जनता का आंदोलन, पड़ोसी देशों से छद्म युद्ध, आतंकवादी घटनाओं जैसे अशुभ संकटों का सामना करना पड़ सकता है। बड़े आंदोलन की संभावनाएं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उपरोक्त योग से देश और दुनिया में अग्नि कांड, जनाक्रोश, जन आंदोलन, भूकंप, सुनामी, आतंकी घटना, ज्वालामुखी विस्फोट, आर्थिक संकट, बीमारी और युद्ध होने की आशंका बढ़ जाती है। हमने यह देखा भी है कि कई जगहों जनाक्रोश के चलते सत्तापक्ष को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। आने वाले समय में हो सकता है कि सरकार का कोई निर्णय जनता को भड़का दे और तब जनता सड़कों पर आंदोलन करने के लिए उतर जाए। कोई बड़ी आतंकी घटना भी हो सकती है या भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उपद्रव की स्थिति बन सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बड़ा टकराव हो सकता है। कर्नाटक में दिख चुका है असर ज्योतिषियों के अनुसार भाजपा पर चंद्रमा की महादशा का असर कर्नाटक चुनाव में दिख चुका है। वहां भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए सारे तिकड़म आजमाए, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। ज्योतिषगुरु राजीव नारायण द्वारा कर्नाटक चुनाव को लेकर भी भविष्यवाणी की गई थी। मालूम हो कि ये ऐसा पहला मौके नहीं था इनके द्वारा पूर्व में की गई भविष्यवाणी ऐतिहासिक हो गई। ज्योतिष गुरु ने 29 मार्च को अपने ट्वीट में लिखा था कि महदशा के कारणा भाजपा को जनता के द्वारा बड़े दंड यानि पराजय का सामना करना पड़ेगा। चुनावी नतीजों में भाजपा की हार हुई और कांग्रेस ने बहुमत से कर्नाटक में अपनी सरकार बनाई। अराजकता के साथ बदलेगा राजनीतिक परिदृश्य हाल ही में सूर्य ने वृषभ राशि में गोचर किया है और उससे पूर्व मंगल ने कर्क राशि में गोचर किया था। 10 मई को मंगल ने कर्क राशि में गोचर करके परिस्थिति को बदला है क्योंकि कर्क राशि में मंगल नीच का होकर अच्छे फल नहीं देता है। यह देश और दुनिया में अराजकता और अशांति फैलाने का कार्य करता है। यह मंगल राजनीतिक दल में झगड़े या कलह का कारक भी होता है। इसी बीच पहले सूर्य ग्रहण हुआ और फिर चंद्र ग्रहण ने भी स्थिति परिस्थितियों को बदला है। परंतु 17 जनवरी को शनि ने कुंभ राशि में और 22 अप्रैल को बृस्पति ग्रह ने जब मेष राशि में प्रवेश किया तो संपूर्ण देश दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव होना प्रारंभ हो गया। खासकर तब जब बृहस्पति ने मेष में प्रवेश किया जहां पर पहले से ही विराजमान राहु से मिलकर उसने गुरु चांडाल योग बनाया। इस योग ने सत्तापक्ष के लिए परेशानियां खड़ी की है, जो 30 अक्टूबर तक जारी रहेगी। सूर्य और राहु की युति से ग्रहण योग तथा गुरु और राहु की युति से गुरु चांडाल दोष का निर्माण हुआ जिसने परिस्थिति को बदला।